खेता हि खेता में थाको देवरो,
दोहा – ऊंची पेडी झुंझार की,
म्हासु चढ़यो न उतरियो जाई,
किज्यो म्हारा झुंझार राणा ने,
म्हारो हाथ पकड़ ले जाई।
खेता हि खेता में थाको देवरो,
झुंझारा वो,
बेठा काई आसण,
ढाल ढाल ढाल,
म्हारा झुंझार राणा,
आयोडा भक्ता को सारो काज।।
कुणी तो चुणायो थाको,
देवरो झुंझारा वो,
कुणी लगाई नीज नीम,
म्हारा झुंझार राणा,
आयोडा भक्ता को सारो काज।।
भोपा तो चुणायो थाको,
देवरो झुंझारा,
वो प्रजा लगाई नीज नीम,
म्हारा झुंझार राणा,
आयोडा भक्ता को सारो काज।।
काई तो मांगे रुडी,
बांझणी झुंझारा वो,
म्हारा झुंझार राणा,
आयोडा भक्ता को सारो काज।।
बेटा तो मांगे थाकै,
दैवरे झुंझारा वो,
अन धन बालुडा री माय,
म्हारा झुंझार राणा,
आयोडा भक्ता को सारो काज।।
काई तो चढावै रुडी,
बांझणी झुंझारा वो,
काई रै बालुडा री माय,
म्हारा झुंझार राणा,
आयोडा भक्ता को सारो काज।।
छतर तो चढावै रूडी,
बांझडी झुंझारा वो,
प्रसादी बालुडा री माय,
म्हारा झुंझार राणा,
आयोडा भक्ता को सारो काज।।
भक्त मंडल री विनती,
सुणज्यो झुंझारा वो,
गावै रै जाती मनोहर,
म्हारा झुंझार राणा,
आयोडा भक्ता को सारो काज।।
खेता हि खेता मे थाको देवरो,
झुंझारा वो,
बेठा काई आसण,
ढाल ढाल ढाल,
म्हारा झुंझार राणा,
आयोडा भक्ता को सारो काज।।
गायक – मनोहर परसौया किशनगढ।