खेती खेड़ो रे हरिनाम की,
जामे मुकतो है लाभ।।
पाप का पालवा कटावजो,
काठी बाहर राल,
कर्म की फाँस एचावजो,
खेती निरमळ हुई जाय,
खेती खेडो रे हरिनाम की,
जामे मुकतो है लाभ।।
आस स्वास दोई बैल है,
सुरती रास लगाव,
प्रेम पिराणो कर धरो,
ज्ञान की आर लगाव,
ओहम् वख्खर जुपजो,
सोहम् सरतो लगाव,
मुल मंत्र बीज बोवजो,
खेती लटा लुम हुई जाय,
खेती खेडो रे हरिनाम की,
जामे मुकतो है लाभ।।
सन को माँडो रोपजो,
धन की पयडी लगाव,
ज्ञान का गोला चलावजो,
सुआ उडीउडी जाय,
दया की दावण राळजो,
बहुरि फेरा नही होय,
कहे सिंगा पयचाण लेवो,
आवा गमन नी होय,
खेती खेडो रे हरिनाम की,
जामे मुकतो है लाभ।।
खेती खेड़ो रे हरिनाम की,
जामे मुकतो है लाभ।।
प्रेषक – घनश्याम बागवान सिद्दीकगंज (मगरदा)
7879338198