ॐ जय खोजीजी महाराज,
स्वामी जय चतुर्भुज महाराज,
गाँव इटाखोई जन्में,
पिता चेतनदास।।ॐ जय।।
वत्स गौत्र लाप्स्या जोशी,
नाम चतुर्भुजदास,
स्वामी नाम चतुर्भुजदास,
माघ पूर्णिमा को आये,
जो महिना है खास।।ॐ जय।।
गंगा यमुना नहलाने आई,
बालिकायें बनकर,
स्वामी बालिकायें बनकर,
आप जा रहे हरिद्वार,
पूर्वजों के फूल लेकर।।ॐ जय।।
नाग पहाड पर तपस्या कीनी,
फिर आये पुष्कर,
स्वामी फिर आये पुष्कर,
खोजीधडा नाम पड़ा है,
चरण पादुकाये धरकर।।ॐ जय।।
कार्तिक मैले में राव मुकुंद सिंह,
पुष्कर में आयें,
स्वामी पुष्कर में आयें,
चमत्कार दिखाया आपने,
गाँव पालडी में लाये।।ॐ जय।।
माँ गंगा को याद किया तो,
खारी झील में प्रकट भई,
स्वामी खारी झील में प्रकट भई,
यह चमत्कार देख सबने,
महिमा हरष हरष गाई।।ॐ जय।।
जब गुरुजी ने प्राण त्यागे,
शंख झालर नहीं बाजे,
स्वामी शंख झालर नहीं बाजे,
फल में अटका प्राण गुरु का,
खोजा तो खोजी कहलाये।।ॐ जय।।
खोजीजी की पालडी प्रसिद्ध थी,
पर आप नहीं चाहते,
स्वामी पर आप नहीं चाहते,
कांदा उगाया सवामन का,
यही सब जन जन गाते।।ॐ जय।।
मालदेव राजा ने,
खोजीजी की महिमा गाई,
स्वामी खोजीजी की महिमा गाई,
नाम बदला राजा ने,
पालडी कांदा की कहलाई।।ॐ जय।।
शिष्य राना बाई गाँव हरनावा,
हरष हरष गुण गावे,
स्वामी हरष हरष गुण गावे,
प्रेत से मुक्ति दिलाई,
गुरु खोजी के गुण गावे।।ॐ जय।।
खोजी चतुरानन्द स्वामी की आरती,
जो कोई जन गावे,
स्वामी जो कोई जन गावे,
राद्यवेन्द्रचार्य की कृपा से,
सुख-सम्पति पावे।।ॐ जय।।
ॐ जय खोजीजी महाराज,
स्वामी जय चतुर्भुज महाराज,
गाँव इटाखोई जन्में,
पिता चेतनदास।।ॐ जय।।
लेखक – विष्णु अवतार पारीक।
गाँव पालड़ी कलाँ।
गायक – प्रविण पारीक सुरत।
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