खोल आड़ो खोल म्हारा,
रूणेचा रा रामधणी।
दोहा – रामा सामा आवजों,
कलयुग बहे करुर,
अरज करु अजमल रा,
हेलो सुनो हजूर।
खोल आड़ो खोल म्हारा,
रूणेचा रा रामधणी,
भगता के घर भेंगो भैगो,
आवजे रामापीर।।
रुणिचा में बनियों देवरों,
नमन करे नर नार वो,
खोल आडो खोल मारा,
रूणेचा रा रामधणी।।
आंधलिया ने आख्या देवे,
पगलिया ने पाव वो,
खोल आडो खोल मारा,
रूणेचा रा रामधणी।।
पैदल पैदल आवे जात्रू,
दर्शन थाका पावे वो,
खोल आडो खोल मारा,
रूणेचा रा रामधणी।।
दूर दूर सु आवे जात्रू,
नमन करे नर नार,
खोल आडो खोल मारा,
रूणेचा रा रामधणी।।
हरजी भाटी री सुन ज्यों विनती,
चरना में शीश नमावें वो,
खोल आडो खोल मारा,
रूणेचा रा रामधणी।।
खोल आडो खोल मारा,,
रूणेचा रा रामधणी,
भगता के घर भेंगो भैगो,
आवजे रामापीर।।
गायक – बलदेव जी महाराज।
प्रेषक – सुरेंद्र सिंह रावत भैरूखेड़ा।
मो – 7414841461