खुशहाल करती,
मालामाल करती,
शेरावाली अपने,
भक्तों को निहाल करती।।
अम्बे रानी वरदानी,
बैठी खोल के भंडारे,
झोली ले गया भरा के,
आया चलके जो द्वारे,
नहीं टाल करती,
तत्काल करती,
शेरावाली अपने,
भक्तों को निहाल करती।।
हर दुख जाए टल,
हर मुश्किल हो हल,
झोपड़ी से हो महल,
नहीं लगे एक पल,
माँ कमाल करती,
बेमिसाल करती,
शेरावाली अपने,
भक्तों को निहाल करती।।
माँ के नाम वाला अमृत,
जो पी ले एक बार,
होगा बाल ना बांका,
चाहे बैरी हो संसार,
रक्षा आप सरल,
बन ढाल करती,
शेरावाली अपने,
भक्तों को निहाल करती।।
‘लक्खा’ लाखों के बदल डाले,
लिखे माँ ने लेख,
टाटा नगर वाले ‘शर्मा’ की,
ओर भी तो देख,
ना संभाल करती,
ना ख्याल करती,
शेरावाली अपने,
भक्तों को निहाल करती।।
खुशहाल करती,
मालामाल करती,
शेरावाली अपने,
भक्तों को निहाल करती।।
गायक – लखबीर सिंह लख्खा जी।
प्रेषक – हरिओम।
9368454723