भक्ति का सम्मान,
होना चाहिए,
कीर्तन में बस श्याम,
होना चाहिए।।
नाच कूद की धूम मची है,
भाव कहाँ है कीर्तन में,
श्याम नाम की माला जपते,
बैर लिए अपने मन में,
सच्चे प्रेमी की पहचान,
होना चाहिए,
किर्तन में बस श्याम,
होना चाहिए।।
अपने अपने मतलब से जब,
प्रेमी बनकर आते है,
बना नहीं जब काम यहाँ,
भगवान बदल लिए जाते है,
बाबा पर विश्वास,
होना चाहिए,
किर्तन में बस श्याम,
होना चाहिए।।
करने वाला श्याम है लेकिन,
मैं ही मैं सबके मन में,
इनको समझ नहीं आता है,
श्याम बसें है कण कण में,
‘अंकित’ को ना अभिमान,
होना चाहिए,
किर्तन में बस श्याम,
होना चाहिए।।
भक्ति का सम्मान,
होना चाहिए,
कीर्तन में बस श्याम,
होना चाहिए।।
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गायक – अंकित शर्मा।
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