किस बात से रूठ गया तू,
दोहा – भूली बिसरी यादें तेरी,
हमको कितना तड़पाती है,
सच तो यह है तुम बिन जग ये,
सूना सूना लगता है।
आहें भरना और संभलना,
‘शिव’ यह काम हमारा है,
आज मगर त्योहार ये तुम बिन,
सूना सूना लगता है।
किस बात से रूठ गया तू,
कि बहना तेरी याद करती।।
तर्ज – दिल तोड़ के हंसती हो।
तूने मुझसे कहा था,
मैं आऊंगा,
बहना तुझसे ही राखी बंधाऊंगा,
हो किया वादा तू,
अपना निभाना,
कि बहना तेरी याद करती।।
ले के बैठी मैं पूजा की थाली,
राखी लाई मैं देख मोतियों वाली,
ओ भाई मेरे तू छोड़ बहाने,
कि बहना तेरी याद करती।।
याद ‘चांदनी’ की जब तुझे आएगी,
तेरी आत्मा भी चैन नहीं पाएगी,
हो तेरी यादें ही अब है सहारा,
कि बहना तेरी याद करती।।
किस बात से रूठ गया तु,
कि बहना तेरी याद करती।।
स्वर – चांदनी सरगम।
लेखक / प्रेषक – शिवनारायण जी वर्मा।
7987402880