किस्मत का मारा हूँ सांवरे,
प्यार की थोड़ी सी,
झलक दिखा मेरे श्याम,
सब झूठे रिश्तो को तोड़के,
तेरी भक्ति की,
अलख जगा मेरे श्याम,
झलक दिखा मेरे श्याम।।
तर्ज – नफरत की दुनिया को छोड़के।
मेरी ज़िंदगी में श्याम,
धोखे ही धोखे है,
बर्बादियों के पल,
आते ही रहते है,
अब हार के तेरी शरण मैं,
लेने आया हूँ,
आज मुझे भी तार,
किस्मत का मारा हूं सांवरे,
प्यार की थोड़ी सी,
झलक दिखा मेरे श्याम।।
सब जान कर भी तू,
चुप चाप बैठा है,
कह दे के तेरा ये,
इंसाफ कैसा है,
अब आज ना जाऊं डाल दे,
मेरी झोली में,
भीख दया की श्याम,
किस्मत का मारा हूं सांवरे,
प्यार की थोड़ी सी,
झलक दिखा मेरे श्याम।।
सुनता हूँ निर्धन के,
भंडार भरते हो,
भक्तो की नैया को,
भव पार करते हो,
एक बार मुझ पर भी कृपा,
बरसा दे रे मोहन,
बिगड़े बने मेरे काम,
किस्मत का मारा हूं सांवरे,
प्यार की थोड़ी सी,
झलक दिखा मेरे श्याम।।
अब तो सिवा तेरे,
कोई चाह नहीं मुझको,
दुनिया की अब कुछ भी,
परवाह नहीं मुझको,
अब चौखठ पे तेरी,
‘हर्ष’ की बीते रे कान्हा,
जीवन की ये शाम,
किस्मत का मारा हूं सांवरे,
प्यार की थोड़ी सी,
झलक दिखा मेरे श्याम।।
किस्मत का मारा हूँ सांवरे,
प्यार की थोड़ी सी,
झलक दिखा मेरे श्याम,
सब झूठे रिश्तो को तोड़के,
तेरी भक्ति की,
अलख जगा मेरे श्याम,
झलक दिखा मेरे श्याम।।
स्वर – मुकेश बागड़ा जी।
प्रेषक – प्रशांत मिश्रा।
Bahut hee pyara hai , man ke tar tar me chhoo gya, jai sri shyam