कितना प्यारा दरबार सजा है,
कितना सौणा दरबार सजा है,
जी करे देखता रहूं,
तू है दाता तू है दानी,
तू है लखदातारी,
तेरे दर पर बाबा मेरी,
मिटती विपदा सारी,
कितना सौणा दरबार सजा है,
जी करे देखता रहूं।।
तर्ज – कितना प्यारा तुझे।
फूलों के गजरों से सजी हुई झाँकी,
कानो में कुण्डल है तेरी अदा बांकि,
साँवल सा मुखड़ा है चितवन है प्यारी,
देख तेरे रुप को मैं जाऊं बलिहारी,
कितना सुन्दर कितना प्यारा,
मेरा बाबा सबसे न्यारा,
तेरे दर पे जो आ जाए,
पाए खुशियां सारी,
तेरे दर्शन करने से ही,
मिटती चिंता सारी,
कितना सौणा दरबार सजा है,
जी करे देखता रहूं।।
खाटू के मन्दिर की शोभा है न्यारी,
दर्शन को आते है लाखों नर नारी,
मंदिर में भक्तो का लगता है तांता,
‘लाला’ कि आँखो को तेरा दर्श भाता,
मेरे मन को है लूभाता,
तेरे दर पे दौड़ा आता,
तेरे द्वार पे आने से मेरी,
मिटती है लाचारी,
तेरे दर पे बाबा मेरी,
झोली भरती सारी,
कितना सौणा दरबार सजा है,
जी करे देखता रहूं।।
कितना प्यारा दरबार सजा है,
कितना सौणा दरबार सजा है,
जी करे देखता रहूं,
तू है दाता तू है दानी,
तू है लखदातारी,
तेरे दर पर बाबा मेरी,
मिटती विपदा सारी,
कितना सौणा दरबार सजा है,
जी करे देखता रहूं।।
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