कितनी तरक्की हो गयी,
दुनिया के हर घर मा,
हम तुम यहाँ के यहाँ पड़े है,
काकर पात्थर मा,
अब तो कुछ ध्यान दीजिये,
बना एक मकान लीजिये।।
तर्ज – लाल दुपट्टा उड़ गया।
अपने ई दोनोउ लरिका,
घुमई चुहा और मोर पर,
इनका इक एस्प्लनडर लईदेउ,
घुमी आवइ जइ रोड पर,
पेट्रोल भराई देऊ भोले जी,
डीएल बनवाईं देऊ भोले जी,
इनका दुइ हेलमेट लई देऊ,
पहिनई जई अफसर मा,
हम तुम यहाँ के यहाँ पड़े है,
काकर पात्थर मा,
अब तो कुछ ध्यान दीजिये,
बना एक मकान लीजिये।।
बूढ़ा हुई गयो नादिया,
अहिका अब छुटटी दई देऊ,
घुमई फिरई हम दोनों मिल,
सुपर टॉप क्वालीश लई लेऊ,
कैलाश बेचि देऊ भोले जी,
एक गाड़ी खरीदउ भोले जी,
कूलर टीवी फ्रिज सब,
लईआबऊ अब घर मा,
हम तुम यहाँ के यहाँ पड़े है,
काकर पात्थर मा,
अब तो कुछ ध्यान दीजिये,
बना एक मकान लीजिये।।
भेष ये अपना तुम बदलऊ,
नये जमाने मे आबऊ,
थिरि पीस का शूट पहनकर,
गले मे टाई लटका बऊ,
लेउ दुई मोबाइल भोले जी,
करे डायल रिडायल भोले जी,
किसऊ को नम्बर ना दिजउ,
नाई तो पड़ी जाऊ चक्कर मा,
हम तुम यहाँ के यहाँ पड़े है,
काकर पात्थर मा,
अब तो कुछ ध्यान दीजिये,
बना एक मकान लीजिये।।
कितनी तरक्की हो गयी,
दुनिया के हर घर मा,
हम तुम यहाँ के यहाँ पड़े है,
काकर पात्थर मा,
अब तो कुछ ध्यान दीजिये,
बना एक मकान लीजिये।।
गायक – आदित्य पंडित।
संपर्क – 8604791238