उबी मंदिर माही हरि का,
कोड करे कर्मा बाई।
दोहा – पुजारी पुष्कर गयो,
कह गयो प्रभात की,
आज सेवा साजस्यु,
त्रिभुवन पती दीनानाथ की।
ल्याई खाटो खिचङो,
मनुहार मारा हाथ की,
कर्मा मारो नाम प्रभू जी,
जाटणी हु जात की।
उबी मंदिर माही हरि का,
कोड करे कर्मा बाई,
कोड करे कर्मा बाई,
थारा गुण गावे कर्मा बाई।।
कोड करन्ती कर्मा बाई,
हरखी हरखी मन्दिर आई,
अब क्यू देर करो रघुराई,
बतलावो मुख बोल,
दाशी की मनशा भर जावे,
दर्शन द्यो पट खोल जी,
थाका कोड करे कर्मा बाई,
थारा गुण गावे कर्मा बाई।।
दर्शन दिया सरै जुग तारण,
जैसे फिरयो मन्दिर को बारण,
आज नाथ भक्ता रे कारण,
सन्मुख ऊबो आय,
फेर मिल्यो मीरा बाई ने,
चित्र कोट मे जाय जी,
थाका कोड करे कर्मा बाई,
थारा गुण गावे कर्मा बाई।।
चित्र कोट मे चन्दण घसायो,
कबीरा के घर बालद ल्यायो,
नाम देव को छपरो छायो,
कर कर मनमे कोड,
धन्ना भक्त को खेत निपजायो,
बिना बीज रण छोङ जी,
थाका कोड करे कर्मा बाई,
थारा गुण गावे कर्मा बाई।।
खाय रिश खम्भा के दिनी,
मरबा की मनमे धर लिनी,
जद सावरो रक्षा किनी,
आडा दिना हाथ,
अन्तर पुट की ओट करया बिना,
किया जिमू भात जी,
थाका कोड करे कर्मा बाई,
थारा गुण गावे कर्मा बाई।।
बाल भोग कछु नही लिनु,
धाबलिया को परदो किनु,
मेवा मगद मिठाई तिनु,
कछु नही आया याद,
कर्मा थारो खिचङो माने,
लाग्यो घणु स्वाद जी,
थाका कोड करे कर्मा बाई,
थारा गुण गावे कर्मा बाई।।
सारी सेवा सफल कर डारी,
आप बङे हो हे गीरधारी,
सुवा पढावत गणिका तारी,
थे नन्द जी का लाल,
लच्छी राम गुणियन को चाकर,
गुण गावे गौपाल जी,
थाका कोड करे कर्मा बाई,
थारा गुण गावे कर्मा बाई।।
उबी मन्दिर माही हरि का,
कोड करे कर्मा बाई,
कोड करे कर्मा बाई,
थारा गुण गावे कर्मा बाई।।
गायक – कैलाश प्रजापत।
प्रेषक – रामानन्द प्रजापत जूसरी।
9982292201