कोई भाव से मेरी मैया को मना ले,
कोई भाव से माँ को चुनरी चढ़ा दे,
भाग्य जग जाएगा,
भाग्य जग जाएगा।।
तर्ज – इस प्यार से मेरी तरफ।
गंगा जल से मेरी माँ को नहला दे,
रोली चन्दन मेरी माँ को लगा दे,
माँ को लगा दे,
फिर प्यार से अड़हुल का हार चढ़ा दे,
भाग्य जग जाएगा,
भाग्य जग जाएगा।।
कानो में अम्बे माँ के कुंडल पहना दे,
हाथों में जगदम्बे के मेहन्दी लगा दे,
माँ को सजा दे,
फिर प्यार से माँ को पायल पहना दे,
भाग्य जग जाएगा,
भाग्य जग जाएगा।।
हलवा पुड़ी चने का भोग लगा दे,
सातों बहिन संग भेरव भैया को चढ़ा दे,
भैया को चढ़ा दे,
‘राघवेन्द्र’ को ‘देवेन्द्र’ ये बता दे,
भाग्य जग जाएगा,
भाग्य जग जाएगा।।
कोई भाव से मेरी मैया को मना ले,
कोई भाव से माँ को चुनरी चढ़ा दे,
भाग्य जग जाएगा,
भाग्य जग जाएगा।।
स्वर – देवेन्द्र पाठक जी।