कोई कृष्णा कह के पुकारा,
कोई खाटू श्याम पुकारा,
कितने नामो से तुमको,
भक्तो ने है पुकारा।।
तर्ज – तुझे सूरज कहूँ या चँदा।
रुष्ठ हो कर इन्द्र ने जिस दिन,
था जब पानी बरसाया,
उँगली पर तुमने अपनी,
तब गिरी पर्वत को उठाया,
यह देख सभी ने तुमको,
गिरधर कह कर के पुकारा,
कितने नामो से तुमको,
भक्तो ने है पुकारा।।
मीरा को जब राणा ने,
भेजा था विष का प्याला,
हे खाटू श्याम जी तुमने,
उसको अमृत कर डाला,
मीरा ने अँसुअन सँग फिर,
गिरधर गोपाल पुकारा,
कितने नामो से तुमको,
भक्तो ने है पुकारा।।
द्रोपति को पाँडव हारे,
द्रुयोधन जब ललकारा,
अबला नारी को आकर,
खाटू जी दिया सहारा,
द्रोपति ने रूँधे स्वर में,
मुरलीधर कह के पुकारा,
कितने नामो से तुमको,
भक्तो ने है पुकारा।।
कोई कृष्णा कह के पुकारा,
कोई खाटू श्याम पुकारा,
कितने नामो से तुमको,
भक्तो ने है पुकारा।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923
वीडियो उपलब्ध नहीं।