कोई लाख करे चतुरायी,
करम का लेख मिटे ना रे भाई,
जरा समझो इसकी सच्चाई रे,
करम का लेख मिटे ना रे भाई।।
इस दुनिया में,
भाग्य के आगे,
चले ना किसी का उपाय,
कागद हो तो,
सब कोई बांचे,
करम ना बांचा जाए,
इस दिन इसी,
किस्मत के कारण,
वन को गए थे रघुराई रे,
करम का लेख मिटे ना रे भाई।।
काहे मनवा धीरज खोता,
काहे तू नाहक रोए,
अपना सोचा कभी ना होता,
भाग्य करे तो होए,
चाहे हो राजा चाहे भिखारी,
ठोकर सभी ने यहा खायी रे,
करम का लेख मिटे ना रे भाई।।
कोई लाख करे चतुरायी,
करम का लेख मिटे ना रे भाई,
जरा समझो इसकी सच्चाई रे,
करम का लेख मिटे ना रे भाई।।