कोई मने कहिजो रे सांवरियो,
घर आवन की,
आवन की मन भावन की,
कोई मने कहिजो रे साँवरियो,
घर आवन की।।
आप नहीं आवे सांवरो,
लिख कोनी भेजे,
आ तो बण पड़ी है,
ललचावण की,
कोई मने कहिजो रे साँवरियो,
घर आवन की।।
ऐ दोय नैण मारो,
कयो कोनी माने,
ऐ तो नदियाँ बहे,
जैसे सावण की,
कोई मने कहिजो रे साँवरियो,
घर आवन की।।
मथुरा नगरी तो,
सांवरा दूर घणी है,
मारे पांख कोनी तो,
उड़ जावन की,
कोई मने कहिजो रे साँवरियो,
घर आवन की।।
मीरा के प्रभु,
गिरधर नागर,
मैं तो चेरी भई हूँ,
हरि ने पावन की,
कोई मने कहिजो रे साँवरियो,
घर आवन की।।
कोई मने कहिजो रे सांवरियो,
घर आवन की,
आवन की मन भावन की,
कोई मने कहिजो रे साँवरियो,
घर आवन की।।
स्वर – संत श्री रामप्रसाद जी महाराज।
Upload By – Keshav
https://youtu.be/44UC1tmBKL4