कन्हैया ओ कन्हैया,
कोई मुरली की तान सुना दे,
मेरे तन मन मे आग लगा दे लगा दे ॥॥
मै ही तोहे देखुं सांवरियां,
देखे ना कोई दुजी नज़रिया,
मै ही तो हूँ तेरी बावरीया,
मै ही सुनु बस तेरी बांसुरियॉं,बंसी बजैया,
कन्हैया ओ कन्हैया कोई मुरली की तन सुना दे,
मेरे तन मन मे आग लगा दे लगा दे ॥॥
गोकुल ढूँढा तुझे मथुरा मे ढूँढा,
छोड़ी ना कोई ऐसी नगरिया,
बंसी बजैया,
कन्हैया ओ कन्हैया,
कोई मुरली की तान सुना दे,
मेरे तन मन मे आग लगा दे लगा दे ॥॥
मेरे प्रभु ने अभिमान सबका तोडा है।फिर चाहे वह कोई भी क्यूं न हो?जय श्री राम