कृष्ण बनके मत आना,
दोहा – प्रीतम ये मत जानियो,
तुम बिछड़े मोहे चैन,
जैसे जल बिन माछली,
तड़पत है दिन रेन।
अब तो बदल गया है जमाना,
कृष्ण बनके मत आना,
मुरारी कृष्ण बनकर मत आना।।
नहीं वो गोकुल नहीं वो मथुरा,
नहीं वो हिंदुस्ताना,
वृंदावन की कुंज गली नहीं,
वृंदावन की कुंज गली नहीं,
नहीं दही माखन खाना,
कृष्ण बनकर मत आना,
मुरारी कृष्ण बनकर मत आना।bd।
मस्त तेरी बंसी की धुन को,
नहीं कोई समझन हारा,
प्रेम शुन्य हो गई दुनिया,
प्रेम शुन्य हो गई दुनिया,
अब किसको बंसी सुनाना,
कृष्ण बनकर मत आना,
मुरारी कृष्ण बनकर मत आना।।
यदा यदा ही धर्मस्य का,
आ गया है जमाना,
याद करके गीता वचन को,
याद करके गीता वचन को,
अब सोच समझ कर आना,
कृष्ण बनकर मत आना,
मुरारी कृष्ण बनकर मत आना।bd।
याद रख के बात हमारी,
जल्दी जल्दी आना,
‘लाल’ कहे हे दीनबंधु,
‘लाल’ कहे हे दीनबंधु,
अब मत देर लगाना,
कृष्ण बनकर मत आना,
मुरारी कृष्ण बनकर मत आना।।
अब तो बदल गया है जमाना,
कृष्ण बनकर मत आना,
मुरारी कृष्ण बनकर मत आना।।
Singer – Osman Mir