कृष्ण नाम की है बगिया निराली,
राधा राधा रटे हर डाली डाली,
राधा राधा रटे हर डाली डाली।।
कली कली पर भंवरा गूंजे,
राधा नाम सुनाए,
झूम झूम के लता पता भी,
राधा राधा गाये,
श्याम बैठे है कहाँ बन माली,
राधा राधा रटे हर डाली डाली,
राधा राधा रटे हर डाली डाली।।
हरी भरी बगिया की शोभा,
लहर लहर लहराए,
महक रही भक्ति महारानी,
ह्रदय में भाव जगाए,
कहाँ सखिया करे रखवाली,
राधा राधा रटे हर डाली डाली,
राधा राधा रटे हर डाली डाली।।
पावन प्रेम सरोवर की कोई,
मिली नही गहराई,
संत भक्त सब रसिक जनन में,
प्रीत बड़ी अधिकाई,
कैसी छायी हुई है हरियाली,
राधा राधा रटे हर डाली डाली,
राधा राधा रटे हर डाली डाली।।
फूली फली रहे ये खुशियाँ,
चढ़ा रहे ये पागलपन,
‘चित्र विचित्र’ बहारो ने,
कर दिया समर्पण तन मन,
कैसी कूके है कोयल काली,
राधा राधा रटे हर डाली डाली,
राधा राधा रटे हर डाली डाली।।
कृष्ण नाम की है बगिया निराली,
राधा राधा रटे हर डाली डाली,
राधा राधा रटे हर डाली डाली।।
स्वर – बाबा रसिका पागल महाराज जी।