कृष्ण थे दगो कियो मासु,
जोर काइ करा नाथ थासू।।
कवरी बिलख रही जी मारी,
सुख भर सोग्या गिरधारी,
रोज या रोवे ने वो छोरी,
नाथ अब खेचो ने जी डोरी,
डोरी खींचो नाथ जी वो,
दो दर्शन गोपाल,
निर्धन रो धन साँवरो रे,
भक्ता रो प्रतिपाल,
आंख को नही टूटे जी आंसू,
जोर काई करा नाथ थासू,
कृष्ण थें दगो कियो मासु,
जोर काइ करा नाथ थासू।।
ध्यान में धरु थारो मन में,
जैसे बोले मोर बन में,
दया नही थारा तन में,
धूल है थारा कीर्तन मे,
चलनो भलो ना कोस को,
बेटी भली ना एक,
देंणो भलो मा बाप को,
जी किसविद रखो टेक,
नानी ने ननद लड़े रात्यु,
जोर काई करा नाथ थासू,
कृष्ण थें दगो कियो मासु,
जोर काइ करा नाथ थासू।।
कृष्ण थे पेली नट जाता,
सगा बीच मे तो नही आता,
मायरो ले आवो जी दाता,
नरसी हरदम गुण गाता,
कवरी मारी बिलख रही वो,
जैसे जल बिन मीन,
लेर मायरो आवज्यो जी,
रूखमण बाई रा बिंद,
नानी ने ननद लड़े रात्यु,
जोर काई करा नाथ थासू,
कृष्ण थें दगो कियो मासु,
जोर काइ करा नाथ थासू।।
कृष्ण थांकी आख़िर जात अहीर,
बहिन सोदरा का बीर,
नानी के नही जामण जायो बीर,
पंचा बीच ओड़ासी कुन्ह चिर,
कवरी मारी बिलख रही वो,
दो दर्शन गोपाल,
निर्धन रो धन साँवरो रे,
भक्ता रो प्रतिपाल,
आंख को नही टूटे जी आंसू,
जोर काई करा नाथ थासू,
अब में भरू मायरो आसू,
जोर काई करा नाथ थांसु।।
कृष्ण थे दगो कियो मासु,
जोर काइ करा नाथ थासू।।
गायक – जगदीश वैष्णव जी।
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