कुछ लेना ना देना मगन रहना,
दोहा – राम नाम की झोपड़ी,
और पापी के दस गाँव,
आग लगे उस गाँव को,
जहाँ नहीं राम को नाम।
राम नाम रटते रहो,
जब लग घट में प्राण,
कभी तो दीनदयाल के,
भनक पड़ेगी कान।
कुछ लेना ना देना मगन रहना,
पाँच तत्व का बना रे पिंजरा,
पाँच तत्व का बना रे पिंजरा,
जा में बोले मेरी मैना,
कूछ लेना ना देना मगन रहना।।
तेरा साईं तेरे अंदर,
तेरा साईं तेरे अंदर,
अब तो देख सखी खोल नैना,
कूछ लेना ना देना मगन रहना।।
गहरी नदियाँ नाव पुरानी,
गहरी नदियाँ नाव पुरानी,
केवटिया से मिले रहना,
कूछ लेना ना देना मगन रहना।।
कहत कबीर सुनो भई साधो,
कहत कबीर सुनो भई साधो,
गुरु चरण में लिपट रहना,
कूछ लेना ना देना मगन रहना।।
कुछ लेना ना देना मगन रहना,
पाँच तत्व का बना रे पिंजरा,
पाँच तत्व का बना रे पिंजरा,
जा में बोले मेरी मैना,
कूछ लेना ना देना मगन रहना।।
स्वर – दिलीप जी गवैया।
Bahut badiya bhajan thnks bhajan diary