क्या की है नाराज़ी,
कुछ बोलो तो सही,
बाबा अपने मंदिर का,
पट खोलो तो सही।।
कैसे तुम हो,
भक्तों से दूर सांवरे,
तुम तो नहीं हो,
मजबूर सांवरे,
आके अपने बच्चों की,
सुध ले लो तो सही,
बाबा अपने मंदिर का,
पट खोलो तो सही।।
मन में रखो ना,
कोई बात सांवरे,
भूल चूक अब तो,
कर दो माफ़ सांवरे,
श्रद्धा के अंसुवन से खुद को,
भिगो लो तो सही,
बाबा अपने मंदिर का,
पट खोलो तो सही।।
किस कारण ये गुस्सा,
तेरा आज बढ़ गया,
बाबा तू क्यों ज़िद पे,
अपने आज अड़ गया,
मन ‘पंकज की बाबा,
कभी टटोलो तो सही,
बाबा अपने मंदिर का,
पट खोलो तो सही।।
क्या की है नाराज़ी,
कुछ बोलो तो सही,
बाबा अपने मंदिर का,
पट खोलो तो सही।।
Singer & Writer – Pankaj Sanwariya