क्या क्या कमाया हमने,
आओ हिसाब कर ले,
दुनिया की बात छोड़े,
अपनी किताब पढ़ ले,
क्या क्या कमाया हमनें,
आओ हिसाब कर ले।।
कितनो का दिल दुखाया,
कितनो के दिल को तोडा,
कितनो का प्यार पाया,
कितनो को खुद से जोड़ा,
क्या क्या गंवाया हमने,
आओ हिसाब कर ले,
क्या क्या कमाया हमनें,
आओ हिसाब कर ले।।
कितनी करी है सेवा,
कितना करा दिखावा,
कितना छला जगत को,
बनकर के एक छलावा,
कैसे बिताया जीवन,
आओ हिसाब कर ले,
क्या क्या कमाया हमनें,
आओ हिसाब कर ले।।
कितना फरज निभाया,
कितना किया करम है,
अब तक क्या हमने जाना,
अपना भी क्या धर्म है,
कैसे निभाया रिश्ता,
आओ हिसाब कर ले,
क्या क्या कमाया हमनें,
आओ हिसाब कर ले।।
हम जागरण में जागे,
ज्योति सदा जलाई,
जयकारे खूब बोले,
नाचे कमर हिलाई,
कितना जगाया मन को,
‘रोमी’ हिसाब कर ले,
क्या क्या कमाया हमनें,
आओ हिसाब कर ले।।
क्या क्या कमाया हमने,
आओ हिसाब कर ले,
दुनिया की बात छोड़े,
अपनी किताब पढ़ ले,
क्या क्या कमाया हमनें,
आओ हिसाब कर ले।।
स्वर तथा लेखन – सरदार रोमी जी।