जब जब भी मैं हारा,
तूने लिया है मुझको थाम,
क्या रिश्ता है तेरा,
मुझसे ओ बाबा श्याम,
जब जब भी मैं हारा,
तूने लिया है मुझको थाम।।
तर्ज – सावन का महीना।
ना नरसी शबरी मैं,
ना ही मैं तो मीरा,
ना ही मैं सुदामा जैसा,
मित्र हूँ तेरा,
पर तूने बनाये बाबा,
मेरे बिगड़े हुए हर काम,
तुमने बनाये बाबा,
मेरे बिगड़े हुए हर काम,
क्या रिश्ता हैं तेरा,
मुझसे ओ बाबा श्याम,
जब जब भी मैं हारा,
तूने लिया है मुझको थाम।।
दुनिया की लागे मुझको,
प्रीत पराई,
तुम ही पिता हो मेरे,
तुम्ही मेरे भाई,
जब भी विपदा आई,
मैंने लिया है तेरा नाम,
क्या रिश्ता हैं तेरा,
मुझसे ओ बाबा श्याम,
जब जब भी मैं हारा,
तूने लिया है मुझको थाम।।
‘हितु’ को बाबा एक,
तेरा सहारा,
तेरे नाम से पहचाने,
संसार सारा,
मैं ना चूका पाऊंगा,
तेरे एहसानो का दाम,
क्या रिश्ता हैं तेरा,
मुझसे ओ बाबा श्याम,
जब जब भी मैं हारा,
तूने लिया है मुझको थाम।।
जब जब भी मैं हारा,
तूने लिया है मुझको थाम,
क्या रिश्ता है तेरा,
मुझसे ओ बाबा श्याम,
जब जब भी मैं हारा,
तूने लिया है मुझको थाम।।
Singer & Writer – Hitesh Goyal (Hittu)