क्यों घबराए नादान,
दयालु साथ तुम्हारे है,
खाटू वाले श्याम का,
सर पर हाथ तुम्हारे है।।
परछाई बनकर प्रेमी की,
पग पग चलता है दातार,
डूबे जब प्रेमी की नैया,
झट से थामे ये पतवार,
तूफानों से नाव,
ये दीनानाथ निकाले है,
खाटू वाले श्याम का,
सर पर हाथ तुम्हारे है।।
कैसी भी बिगड़ी किस्मत हो,
कैसे हो बिगड़े हालात,
एक अर्जी से बन जाती है,
प्रेमी की हर बिगड़ी बात,
हर बिगड़े हालात,
साथ के साथ सुधारे है,
खाटू वाले श्याम का,
सर पर हाथ तुम्हारे है।।
जिसने भी है सौंप दी अपनी,
इनके हाथों जीवन डोर,
कैसे भी हो कठिन घड़ी,
ये होने ना देता कमजोर,
निर्बल का बल श्याम,
दास की बात ना टारे है,
खाटू वाले श्याम का,
सर पर हाथ तुम्हारे है।।
हारे हुए हर एक प्रेमी की,
आँखों में दिख जाता है,
प्रेमी के बहते अश्को से,
किस्मत ये लिख जाता है,
‘रोमी’ भी जिस दर पर,
हरदम हाथ पसारे है,
खाटू वाले श्याम का,
सर पर हाथ तुम्हारे है।।
क्यों घबराए नादान,
दयालु साथ तुम्हारे है,
खाटू वाले श्याम का,
सर पर हाथ तुम्हारे है।।
स्वर / रचना – सरदार रोमी जी।