क्यों रोए हे राम घबराए हे राम,
संजीवनी बूटी मैं लाऊ मेरे राम,
नही निकलने दू,
मै लछमन के ये प्राण।।
तर्ज – मेहबूब मेरे मेहबूब मेरे।
चार पहर का समय दिया,
वैध ने जो हमको,
ना इतनी हिम्मत सूर्य की,
के अम्बर चमके वो,
दूँ बांध समय की गति,
ना बीतने दूगा शाम।।
वचन दिया माता को जो,
मै टूटने ना दूगा,
अयोध्या मे शीश आपका,
झुकने ना दूगा,
उड जाऊ मै पवन चाल से,
इक पल ना करू आराम।।
दो आज्ञा हे श्रीराम,
मन अपने रखना धीर,
लौट के जल्दी आऊगा,
ना बहे नैनो से नीर,
उठाया पूरा पर्वत,
ना बूटी की पहचान।।
क्यों रोए हे राम घबराए हे राम,
संजीवनी बूटी मैं लाऊ मेरे राम,
नही निकलने दू,
मै लछमन के ये प्राण।।
गायक – मुकेश शर्मा।
लेखक / प्रेषक – सोमनाथ रोहटिया।
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