लादी वे तो दीजो,
छिपाई वे तो दीजो,
कवर काणुडे री झुमरी,
केने लाधी हो दीजो।।
उठ जा काना कुर्लौ कर ले,
खा ले माखन रोटी,
आ गमी तो क्या हुई,
और बना दु मोटी,
केने लाधि वो तो दीजो,
लीकाई वे तो दीजो,
कवर काणुडे री झुमरी,
लाधी हो दीजो।।
रोवे रौवावे करे रिश्णा कानो,
गाया मे नही जावे,
झुमरी रे कारणने कानो,
रोटी नही खावे केने,
केने लाधि वो तो दीजो,
लीकाई वे तो दीजो,
कवर काणुडे री झुमरी,
लाधी हो दीजो।।
आखे पाँखें माणक मोती,
बीच सोने रा धागा,
कवर काणुडे री झुमरी रा,
सवा लाख रुपया लागा,
केने लाधि वो तो दीजो,
लीकाई वे तो दीजो,
कवर काणुडे री झुमरी,
लाधी हो दीजो।।
नये लॉक नरसाने बीच मे,
पागी मे पागी लगाया,
झुमरी रे कारणे,
नारद पागी आयो,
केने लाधि वो तो दीजो,
लीकाई वे तो दीजो,
कवर काणुडे री झुमरी,
लाधी हो दीजो।।
अलीगली मे फिरे नारदीयो,
सुत्तों शेर जगावै,
कालो सांप गले गाल्यौ लींनी,
ऊण ने खावे,
केने लाधि वो तो दीजो,
लीकाई वे तो दीजो,
कवर काणुडे री झुमरी,
लाधी हो दीजो।।
दूजी सईया रंगभर राजी,
राधा बड़बड़ बोले,
कालो खावे नारदीये ने,
कुंड घणेरो बोले,
केने लाधि वो तो दीजो,
लीकाई वे तो दीजो,
कवर काणुडे री झुमरी,
लाधी हो दीजो।।
प्रभात ने गुमी झुमरी,
साण्झ पड़े ने लादी रे,
रूख्मण ने लांघी झुमरी,
राधा हो गाई राजी,
केने लाधि वो तो दीजो,
लीकाई वे तो दीजो,
कवर काणुडे री झुमरी,
लाधी हो दीजो।।
लादी वे तो दीजो,
छिपाई वे तो दीजो,
कवर काणुडे री झुमरी,
केने लाधी हो दीजो।।
प्रेषक – मांगीलाल सेन बायतु।
भजन गायक – सुरेश जांगिड़।
बाड़मेर 7073648651