लागे गोठ नगर म्हाने प्यारो,
दोहा – प्रगट भई धरा फाड़कर,
कुलदेवी माँ अम्ब,
मंदिर बनियो गोठ में,
ज्यामे अधर एक थम्ब।
ज्यामे अधर एक थम्ब,
थम्ब की शोभा न्यारी,
कुंड को शीतल नीर,
पाप मिट ज्यावे भारी,
‘सम्पत’ पर किरपा करो,
मत करज्यो माय विलंब,
प्रगत भई धरा फाड़कर,
कुलदेवी माँ अंब।
लागे गोठ नगर म्हाने प्यारो,
जठे मंदिर बनियों थारो,
आवे भगता रा ताँता,
थाँ सू करे मीठी बातां,
थारी बोले जय जयकार,
के दाधीमती मावड़ी,
आयोडा भगता ने सोरा राखज्यो।।
थारे मंदिर की मैया,
शोभा है न्यारी,
आधार खम्ब,
सोहवे अति भारी,
कुंड को है ठण्डो नीर,
ज्या में गंगा जी की सीर,
काटे है कष्ट अपार,
के दाधीमती मावड़ी,
आयोडा भगता ने सोरा राखज्यो।।
धरती चीर मैया,
आप पधारीं,
सिंह सवारी होके,
आयी महतारी,
ग्वाल्यो रोल मचाई,
ज्याँ सू बाहर ना आयी,
ख़ाली मस्तक आयो बाहर,
के दाधीमती मावड़ी,
आयोडा भगता ने सोरा राखज्यो।।
‘सम्पत दाधीच’ थाँरा,
चरणा में गावे,
सबसूँ पहली मैया,
थाने मनावे,
मेटो कर्म जंजाला,
खोलो हिरदे का ताला,
थारे चरना में करूँ पुकार,
के दाधीमती मावड़ी,
आयोडा भगता ने सोरा राखज्यो।।
लागे गोठ नगर म्हाने प्यारों,
जठे मंदिर बनियों थारो,
आवे भगता रा ताँता,
थाँ सू करे मीठी बातां,
थारी बोले जय जयकार,
के दाधीमती मावड़ी,
आयोडा भगता ने सोरा राखज्यो।।
Singer – Sampat Dadhich