लच्छेदार भजन के ये गुलदस्ते है,
कीमत आँकी जाये नही ये सस्ते है,
सस्ते है सस्ते है सस्ते है ये सस्ते है,
सस्ते है सस्ते है सस्ते है ये सस्ते है,
लच्छेदार भजन के ये गुलदस्तें है,
कीमत आँकी जाये नही ये सस्ते है।।
जिसमे है झलक दिलबर की,
मनमोहन मुरलीधर की,
साधक ही पा सकता है,
मंजिल उस रब के घर की,
जो दिल में बसते है,
कीमत आँकी जाये नही ये सस्ते है,
लच्छेदार भजन के ये गुलदस्तें है,
कीमत आँकी जाये नही ये सस्ते है।।
है उसकी याद निराली,
मस्ती में डुबोने वाली,
उस प्रेमी दिल से पूछो,
पी ली जिसने ये प्याली,
जो गम खा हँसते है,
कीमत आँकी जाये नही ये सस्ते है,
लच्छेदार भजन के ये गुलदस्तें है,
कीमत आँकी जाये नही ये सस्ते है।।
हो जिस पर दया प्रभु की,
उसे मिलती रुखी सुखी,
कितने मुर्दे जिस्मों में,
है जान उसी ने फूंकी,
के नैन तरसते है,
कीमत आँकी जाये नही ये सस्ते है,
लच्छेदार भजन के ये गुलदस्तें है,
कीमत आँकी जाये नही ये सस्ते है।।
जो डूबा है इस रस में,
वो कौन किसी के बस में,
प्रीतम की छाप लगी है,
प्रेमी दिल की नस नस में,
ये दुर्लभ रस्ते है,
कीमत आँकी जाये नही ये सस्ते है,
लच्छेदार भजन के ये गुलदस्तें है,
कीमत आँकी जाये नही ये सस्ते है।।
गम श्याम बहादुर दिल का,
तड़पन जीवन बिस्मिल का,
क्या चैन कहीं पाएगा,
दीवाना इस महफ़िल का,
लगन में फसते है,
कीमत आँकी जाये नही ये सस्ते है,
लच्छेदार भजन के ये गुलदस्तें है,
कीमत आँकी जाये नही ये सस्ते है।।
लच्छेदार भजन के ये गुलदस्ते है,
कीमत आँकी जाये नही ये सस्ते है,
सस्ते है सस्ते है सस्ते है ये सस्ते है,
सस्ते है सस्ते है सस्ते है ये सस्ते है,
लच्छेदार भजन के ये गुलदस्तें है,
कीमत आँकी जाये नही ये सस्ते है।।
स्वर – विकास रुईया जी।