लग रही प्यास राम रस पिया,
वे भगवान भले भजिया,
जागा भाग नाम ज्योरा जोनिया,
वे हँसला निर्वाण हुआ,
लग रहीं प्यास राम रस पिया ऐ हा।।
गोपीचन्द भरतरी भजिया,
तजिया राज निर्वाण हुआ,
अमर छाप ज्योरे सतगुरू दिनी,
चार जुगा में अमर हुआ,
लग रहीं प्यास राम रस पिया ऐ हा।।
पापी पिता उपजिया पारश,
पुत्र हुआ प्रहलाद जैसा,
वेर राखियो सारा शहर में,
संत हुआ जद कमल हंसया,
लग रहीं प्यास राम रस पिया ऐ हा।।
मान गुमान मेट कर मीरा,
हरी कारण परिवार तजिया,
रोणे जहर रा प्याला भेजिया,
निजभज राखी राम लजिया,
लग रहीं प्यास राम रस पिया ऐ हा।।
संतो री संग में रमिया रूपादे,
सत मार्ग सिणगार सजया,
हाथ खड्ग रावल माल कोपिया,
थाली मे वाग अखंड लग्या,
लग रहीं प्यास राम रस पिया ऐ हा।।
निर्मल भक्ति कबीरसा कमाई,
निर्गुण तीर शरीर लगा,
आया संतो ने तनमन देना,
वो ही दिवला अखण्ड जगा,
लग रहीं प्यास राम रस पिया ऐ हा।।
झरणा झालो ममता ने मारो,
मायला में राखो धिरप धजा,
खीमजी रे शरणे भणे माली लिखमो,
अनुभव हुआ जद आया मजा,
लग रहीं प्यास राम रस पिया ऐ हा।।
लग रही प्यास राम रस पिया,
वे भगवान भले भजिया,
जागा भाग नाम ज्योरा जोनिया,
वे हँसला निर्वाण हुआ,
लग रहीं प्यास राम रस पिया ऐ हा।।
प्रेषक – पुखराज पटेल
9784417723