लख चौरासी जून भोगता,
जीव घणो दुख पावे रे,
राम नाम रो सुमिरन करले,
जीन सु मुक्ति पावे रे,
राम नाम रो सुमिरन करले,
जीन सु मुक्ति पावे रे।।
अरे मिनक जमारो मूंगो बंदा,
बार बार नही आवे रे,
मिनक जमारो मूंगो बंदा,
बार बार नही आवे रे,
साची प्रीत हरि सु करले,
जनम मरण मिट जावे रे,
साची प्रीत हरि सु करले,
जनम मरण मिट जावे रे।।
अरे माया मे मन भटके थारो,
जोड जोड घर लावे रे,
माया मे मन भटके थारो,
जोड जोड घर लावे रे,
महल मालीया खूब बनाया,
राम नाम नही भावे रे,
महल मालीया खूब बनाया,
राम नाम नही भावे रे।।
अरे किन कारण इन जग में आयो,
इन रो चेतो करले रे,
किन कारण इन जग में आयो,
इन रो चेतो करले रे,
मालीक रे घर जानो एक दिन,
ध्यान हीय पर धरले रे,
मालीक रे घर जानो एक दिन,
ध्यान ही यहा पर धरले रे।।
अरे सुमता कुमता दोनो थारे,
घट मे बात सुनावे रे,
अरे सुमता कुमता दोनो थारे,
घट में बात सुनावे रे,
बात मानले सुमता वाली,
घट में ग्यान जगावे रे,
बात मानले सुमता वाली,
घट में ग्यान जगावे रे।।
अरे सतपुरूषो री सेवा करले,
साचो पंथ बतावे रे,
अरे सतपुरूषो री सेवा करले,
साचो पंथ बतावे रे,
गुरू बडा गोविन्द से बंदा,
गोविन्द आप मिलावे रे,
गुरू बडा गोविन्द से बंदा,
गोविन्द आप मिलावे रे।।
अरे दास अशोक सुनावे बंदा,
राम नाम ने भजले रे,
दास अशोक सुनावे बंदा,
राम नाम ने भजले रे,
निर्मल मन हो जावे बंदा,
काम क्रोध ने तजले रे,
निर्मल मन हो जावे बंदा,
काम क्रोध ने तजले रे।।
लख चौरासी जून भोगता,
जीव घणो दुख पावे रे,
राम नाम रो सुमिरन करले,
जीन सु मुक्ति पावे रे,
राम नाम रो सुमिरन करले,
जीन सु मुक्ति पावे रे।।
गायक – सरिता जी खारवाल।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818