लाखों की थारी जिंदगी रे,
ओ बीरा रे एक कौड़ी में गमायी,
छोड़ी ने हीरो लाख को रे,
ओ बीरा रे काकरिया चुगन में गमायो।।
मत कर वीरा थारो मारो,
यही धरा रह जाएगा,
धन दौलत की भरी तिजोरी,
काम ना तेरे आएगी,
आए ना कोई काम ना रे,
ओ वीरा रे भेलो करी न गामायो।।
बालपनो हस खेल गमायो,
जोबन दास लुगाई को,
बुढ़ापे में डगमग डोले,
भाई नहीं फिर भाई को,
कर लीजो नेकी की काम की रे,
ओ वीरा रे सुहानी घड़ी अब आई।।
इस जग की तो रीत यही है,
एक आवे एक जावे रे,
बोया है तू पेड़ बबूल का,
आम कहां से खावे रे,
मीठी है थारी बोलनी रे,
ओ वीरा रे तीखी छुरी क्यों चलावे रे।।
कहे कबीर सुनो भाई साधु,
अवसर बीती जाय रयो,
मनुष्य जन्म मिलो बावरा,
बार-बार नहीं आवे रे,
मारग है सांचो नाम को रे,
ओ वीरा रे अमरपुर लई जावे।।
लाखों की थारी जिंदगी रे,
ओ बीरा रे एक कौड़ी में गमायी,
छोड़ी ने हीरो लाख को रे,
ओ बीरा रे काकरिया चुगन में गमायो।।
गायक – हरि पटेल।
प्रेषक – हरिओम यादव।
7898650874