लाल लंगोटे वाले,
अंजनी के लाल प्यारे,
कबसे खड़ा मैं तेरे द्वारे,
म्हारी विनती सुनलो,
कबसे खड़ा मैं तेरे द्वारे,
सालासर वाले,
कब से खड़ा मैं तेरे द्वारे,
मेहंदीपुर वाले,
कब से खड़ा मैं तेरे द्वारे,
काटो संकट विकट,
खोलो पट झट पट,
जपू नाम मैं साँझ सकारे,
लाल लँगोटे वाले,
अंजनी के लाल प्यारे,
कबसे खड़ा मैं तेरे द्वारे।।
बजरंग बलि हे मारुतसुत,
है नाम तेरा मंगलकारी,
तेरा भजन करे तो भय भागे,
भक्तो के सदा हो हितकारी,
बल बुद्धि के भंडार,
हर लेते हो विकार,
सियाराम के आप दुलारे,
लाल लँगोटे वाले,
अंजनी के लाल प्यारे,
कबसे खड़ा मैं तेरे द्वारे।।
विकराल जो रूप धरा तुमने,
लंका में हाहाकार मची,
उड़कर तुम पर्वत ले आए,
लक्ष्मण भैया की जान बची,
किए अद्भुत काम,
खुश हुए श्री राम,
संकट मोचन पुकारे,
लाल लँगोटे वाले,
अंजनी के लाल प्यारे,
कबसे खड़ा मैं तेरे द्वारे।।
मैं अधम हूँ मूरख अज्ञानी,
पूजा का ढंग नहीं जानू,
तुम विनती सुनलो ‘पन्ना’ की,
इक अपना बस तुमको मानु,
आया दुनिया से हार,
अटका हूँ मैं मजधार,
बनो ‘सरल’ के खेवनहारे,
लाल लँगोटे वाले,
अंजनी के लाल प्यारे,
कबसे खड़ा मैं तेरे द्वारे।।
लाल लंगोटे वाले,
अंजनी के लाल प्यारे,
कबसे खड़ा मैं तेरे द्वारे,
म्हारी विनती सुनलो,
कबसे खड़ा मैं तेरे द्वारे,
सालासर वाले,
कब से खड़ा मैं तेरे द्वारे,
मेहंदीपुर वाले,
कब से खड़ा मैं तेरे द्वारे,
काटो संकट विकट,
खोलो पट झट पट,
जपू नाम मैं साँझ सकारे,
लाल लँगोटे वाले,
अंजनी के लाल प्यारे,
कबसे खड़ा मैं तेरे द्वारे।।
स्वर – पन्ना सिंह लख्खा