लाल लंगोटे वाले वीर हनुमान है,
हनुमान गढ़ी में बैठे,
अयोध्या की शान है,
लाल लंगोटे वालें वीर हनुमान है।।
बजरंगी का हूँ मैं दीवाना,
हर दम गाऊं यही तराना,
तेरा ही इस जीवन पर एहसान है,
हनुमान गढ़ी में बैठे,
अयोध्या की शान है,
लाल लंगोटे वालें वीर हनुमान है।।
तू मेरा मैं तेरा प्यारे,
ये जीवन अब तेरे सहारे,
बजरंगी ही सब भक्तों की जान है,
हनुमान गढ़ी में बैठे,
अयोध्या की शान है,
लाल लंगोटे वालें वीर हनुमान है।।
पागल प्रीत की एक ही आशा,
दर्दे दिल दर्शन का प्यासा,
बजरंगी से ही भक्तों का सामान है,
हनुमान गढ़ी में बैठे,
अयोध्या की शान है,
लाल लंगोटे वालें वीर हनुमान है।।
तुझको अपना मान लिया है,
जीवन तेरे नाम किया है,
‘गुरु ब्रजमोहन देवेंद्र’ का तुझसे मान है,
हनुमान गढ़ी में बैठे,
अयोध्या की शान है,
लाल लंगोटे वालें वीर हनुमान है।।
लाल लंगोटे वाले वीर हनुमान है,
हनुमान गढ़ी में बैठे,
अयोध्या की शान है,
लाल लंगोटे वालें वीर हनुमान है।।
स्वर – देवेंद्र पाठक जी महाराज।