लटको छोड़ दे रे जोगिया,
असल फकीरी धार।।
नाया धोया सू हरि ना मिले रे,
हर कोई लेवे रे नाय,
ऐ जल में नावे जल री माछली,
नही अमरापुर जाय,
लटको छोड़ दे रे जोगिडा,
असल फकीरी धार।।
राख लगाया हरि ना मिले रे,
हर कोई लेवे रे लगायी,
राख लगावे तन के गधडीया,
नहीं अमरापुर जाय,
लटको छोड़ दे रे जोगिडा,
असल फकीरी धार।।
ऐ जटा बढाईया हरी ना मिले रे,
हर कोई लेवे रे बड़ाई,
ऐ जटा बधावे वन का रीछडा,
नहीं अमरापुर जाय,
लटको छोड़ दे रे जोगिडा,
असल फकीरी धार।।
मुड मुड़ाया हरी ना मिले रे,
हर कोई लेवे रे मुडाय,
छठे महिने मूडे गाढरी,
नहीं अमरापुर जाय,
लटको छोड़ दे रे जोगिडा,
असल फकीरी धार।।
ऐ वडले जुलो गालियों रे,
तळे रे लगायी आग,
नाथ गुलाब गुरु बेठीया,
गावे है भवानी नाथ,
लटको छोड़ दे रे जोगिडा,
असल फकीरी धार।।
लटको छोड़ दे रे जोगिया,
असल फकीरी धार।।
गायक – हिरालाल पोसवाल चिताखेडा।
7340545978