क्यूँ तने में बुलाई के जरुरत पड़गी,
ले आगे अडगी रे तेरे आगे अडगी,
बताइए मेरे लाल के जरुरत पड़गी।।
सुनके न आवाज आई,
आज शनिवार था,
मेरा लाडला मेरे नाम का,
लारा यो दरबार था,
तने देई जो आवाज मेरे काना पड़गी,
ले आगे अड़गी रे तेरे आगे अड़गी,
बताइए मेरे लाल के जरुरत पड़गी।।
कुणसा संकट अड़रया था जो,
तने पड़ी बुलानी रे,
एक एक न कचे न खाजू,
मैं मरघट की रानी रे,
धरी पान पैडा भेट मने खानी पड़गी,
ले आगे अड़गी रे तेरे आगे अड़गी,
बताइए मेरे लाल के जरुरत पड़गी।।
आगी तेरे धोरे ले रे,
मार दू किलकारी रे,
एक मिनट में मेरे बेटे,
हरलू चिंता सारी रे,
पड़ी खून की धार तो नजर पड़गी,
ले आगे अड़गी रे तेरे आगे अड़गी,
बताइए मेरे लाल के जरुरत पड़गी।।
अजय राणा पानीपत आला,
मने छाती के ला राख्या,
सत्ते राणा सचा सेवादार,
मने बना राख्या,
याद करी जब आके उसके सिर चडगी,
ले आगे अड़गी रे तेरे आगे अड़गी,
बताइए मेरे लाल के जरुरत पड़गी।।
क्यूँ तने में बुलाई के जरुरत पड़गी,
ले आगे अडगी रे तेरे आगे अडगी,
बताइए मेरे लाल के जरुरत पड़गी।।
गायक – विजय राणा पानीपत।
7357349149
लेखक – अजय राणा पानीपत।
9255801110