ले के आयो रे तीज त्यौहार,
महीना सावन का,
सावन का आयो सावन का,
सावन का जी मनभावन सा,
छाई हरियाली पड़े रे फुहार,
महीना सावन का,
ले के आयो रे तीज त्योहार,
महीना सावन का।।
सावन में शिवरात्रि आए,
भोले जी कावड़ से नहाए,
गूंजी बम बम की जय जयकार,
महीना सावन का,
ले के आयो रे तीज त्योहार,
महीना सावन का।।
उमड़ घुमड़ कर बदरा बरसे,
जब हरियाली को धरती तरसे,
जल बरसे मूसलाधार,
महीना सावन का,
ले के आयो रे तीज त्योहार,
महीना सावन का।।
झूलों की है मस्ती न्यारी,
सज धज आई बहने सारी,
झूले मिल सब सखियां आज,
महीना सावन का,
ले के आयो रे तीज त्योहार,
महीना सावन का।।
भाई बहन का रिश्ता प्यारा,
राखी का त्यौहार भी न्यारा,
‘श्याम’ बहना बांधे प्रीत की डोर,
महीना सावन का,
ले के आयो रे तीज त्योहार,
महीना सावन का।।
ले के आयो रे तीज त्यौहार,
महीना सावन का,
सावन का आयो सावन का,
सावन का जी मनभावन सा,
छाई हरियाली पड़े रे फुहार,
महीना सावन का,
ले के आयो रे तीज त्योहार,
महीना सावन का।।
रचना एवं स्वर – घनश्याम मिढ़ा।
भिवानी – 9034121523