लेके हाथा में एक निशान,
चलो जी खाटू धाम,
के आयो महीनों फागण को।।
तर्ज – संतो सुरगा सु आयो है सन्देश।
घणां दीना सु सबर रख्यो मन,
म्हारो बुलावो आसी,
खाटू वाले श्याम धनी के,
दरश की अखियां प्यासी,
अब तो मन में ना भावे कोई काम,
याद आवे खाटू धाम,
के आयो महीनों फागण को।।
भगतां सु मिलवा खातिर,
बाबा को जी मिचलायो,
सारे भगत ने यो फागनियो,
को संदेशो भिजवायो,
जोवे बांट भगत की म्हारा श्याम,
बुलावे खाटू धाम,
के आयो महीनों फागण को।।
रींगस से निशान उठा जब,
पैदल पैदल चाल्या,
साथ मे संगी साथीडा के,
श्याम भजन ने गास्यां,
म्हारे हिवड़े न चैन आराम,
आग्यो रे खाटू धाम,
के आयो महीनों फागण को।।
मंदरिये के माही जा जद,
बाबा जी ने निहारां,
अनुपम छबि म्हारे श्याम धणी की,
देख्यो गजब निज़ारा,
सारे भगतां ने गले लिपटाये,
सवारियों मुस्काये,
के आयो महीनों फागण को।।
भगत कोई लाये खीर चूरमा,
कोई लाडू ल्याया,
फल की टोकरियां भगत कोई,
ला बाबा जी ने चढ़ाया,
म्हारे बाबा ने भावे भगत को भाव,
जाके मन में लगाव,
के भोग लगाल्यो साँवरियों,
के भोग लगाल्यो साँवरियों।।
विनय करे थारो दास साँवरो,
अरज म्हारी थे सुनल्यो,
चरणा की सेवा में बाबा,
सेवक ने रख लिजों,
थारां नित ही करांगा गुणगान,
जब तक यो तन में प्राण,
के रखल्यो म्हाने साँवरियों,
के रखल्यो म्हाने साँवरियों।।
लेके हाथा में एक निशान,
चलो जी खाटू धाम,
के आयो महीनों फागण को।।
लेखक / गायक – विनय शुक्ला।
7000091366