लीला घनश्याम की न्यारी है,
राधाजी को छलने आए बन मणियारी है॥
(तर्ज :- आज मेरे यार की शादी है)
श्लोक
कभी माखन चुराते हैँ कभी चीर चुराते हैँ,
कहीँ रास रचाते कहीँ पर्वत उठाते हैँ।
एक दिन किया विचार राधाजी को छलने का,
बनके मणियारी श्याम बरसाणे जाते हैं॥
भजन
लीला घनश्याम की न्यारी है-4
राधाजी को छलने आए बन मणियारी है॥
लीला घनश्याम …
ओढा है चीर सुन्दर, बोर चमके माथे पर,
गले मेँ हार सजाया, बिन्दिया मस्तक पर,
चोटी नागिन सी लहराये, गजरा बालोँ मेँ लगाये,
मोतियोँ से मांग भरी है, देख रूप चाँद शरमाये,
हो ऽऽऽ कजरारी आँखोँ मेँ रेख सुरमेँ की डारी है॥१॥
लीला घनश्याम …
होठोँ पर लगाई लाली, नाक मेँ नथ कान मेँ बाली,
पाँवोँ मेँ पायल बाजे, होने लगी चाल मतवाली,
चोलिया एक बनाया, रंग बिरंगा चूड़ा जंचाया,
हार हमेल हीरा चमके, मोतियोँ से खूब सजाया,
हो ऽऽऽ चले सिर पे धरके बरसाणे की ओर बनवारी है॥२॥
लीला घनश्याम …
जा बरसाणे मेँ आवाज लगाई, ले लो चूड़ियाँ लोग लुगाई,
बृजनारी दौड़ पड़ी हैँ, मणिहारी चूड़ियाँ तेरी दिखाई,
बोले कान्हा सुनो सखियां सारी, मँहगी बहुत हैँ चूड़ी हमारी,
पहन सकती है राधा प्यारी, महल उसका दो मुझे बतारी,
हो ऽऽऽ पहन सको इतनी मँहगी चूड़ी ना बस मेँ तुम्हारी है॥३॥
लीला घनश्याम …
चले कान्हा राधा के महल मेँ आये, पहनने चूड़ी राधे जी दौड़े आये,
चूड़ियाँ ऐसी पहनादे तू, मेरे श्याम के जो मन भाये,
पहनाने लगे प्रभु जब चूड़ी, भुजा पकड़ राधे की मरोड़ी,
वृषभान सुता तब बोली, आओ ये सखियाँ सब दौड़ी,
हो ऽऽऽ है कोई गुंडा चोर, नहीँ ये मणियारी है॥४॥
लीला घनश्याम …
श्याम ने तब मति विचारी, कर देगी ये इज्जत ख्वारी,
रूप अपना तुरन्त धारा, बन गये चारभुजा धारी,
निकाल बंशी मधुर बजाई, देख पिया राधा शरमायी,
घूंघट मेँ मुखड़ा छिपाया, प्रभु कैसी लीला दिखाई,
हो ऽऽऽ तेरी माया निराली श्याम ‘खेदड़’ बलिहारी है॥५॥
लीला घनश्याम …
लीला घनश्याम की न्यारी है,
राधाजी को छलने आए बन मणियारी है॥
लीला घनश्याम …By Pkhedar