ओ लीलण म्हारी,
जइजे जइजे गढ़ खरनाले शहर,
कोई गढ़ खरनाले शहर,
भाभल ने निभण देवजे,
ओ तेजाजी कैया जावा,
खाली म्हारी पीठ,
कोई सुनी म्हारी पीठ,
मावड़ली देसी ओलबा
मावड़ली देसी ओलबा।।
ओ लीलण म्हारीं,
कइजे कइजे साचोड़ा समचार,
तू तो साचोड़ा समचार,
नजरा सु देखी केवजो,
नजरा सु देखी केवजो,
ओ तेजाजी एड़ा काई,
लिख्या विधाता लेख,
म्हारा लिख्या विधाता लेख,
तेजल सु छेती मैं तो पड़ा,
तेजल सु छेती मैं तो पड़ा।।
ओ लीलण म्हारीं,
राखो राखो मनडा माही धीर,
कोई हिवड़ा माही धीर,
स्वर्गा में मिलसी जिवडा,
स्वर्गा में मिलसी जिवडा,
ओ तेजाजी था बिन म्हारे,
जीवन को नही सार,
म्हारे जीवन को नही सार,
लीलण भी संग में चालसी,
लीलण भी संग में चालसी।।
ओ प्यारी लीलण,
मैं थारो चंदो तू म्हारी है चकोर,
म्हारे कालजिया री कोर,
मानु मैं थाने जीव री जड़ी,
मानु मैं थाने जीव री जड़ी,
ओ लीलण म्हारीं,
मत ना तू तो आसुडा ढलकाय,
मत आसुडा ढलकाय,
तेजल रो काँपे जीवड़ो,
तेजल रो काँपे जीवड़ो।।
ओ तेजाजी कइयाँ रोकूँ,
नैणा माइलो नीर,
म्हारो नैणा माइलो नीर,
म्हारो भर भर आवे हिवड़ो,
म्हारो भर भर आवे हिवड़ो।।
ओ लीलण म्हारी,
जइजे जइजे गढ़ खरनाले शहर,
कोई गढ़ खरनाले शहर,
भाभल ने निभण देवजे,
ओ तेजाजी कैया जावा,
खाली म्हारी पीठ,
कोई सुनी म्हारी पीठ,
मावड़ली देसी ओलबा
मावड़ली देसी ओलबा।।
स्वर – छोटूसिंह जी रावणा।
प्रेषक – गोपाल सुथार जसोल।
9712406766
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मेरा भाग पुरबला जग्या या र सतगुरु द्वारे मारे आया छ जी मेरा भाग ll लख चौरासी में भटकत-भटकत अब के दर्शन पाया मेरा भाग l