लीनो ताँबा रो बेड़ो हाथ मीराबाई,
दोहा – लकड़ी जली कोयला भई,
ने कोयला जल भई राख,
मैं विरहन ऐसी जली,
न कोयला भई न राख।
लीनो ताँबा रो बेड़ो हाथ मीराबाई,
मीरा मेडतनी चाली पानी ने हो जी,
मीरा मेडतनी चाली पानी ने हो जी।।
खवले रलाया काला केश मीराबाई,
माथे ओढ़न ने पीलो कोमसो हो जी,
चालिया पनघटिया वाली पाल मीराबाई,
मीरा मेड़तनी चाले एक्ला हो जी,
मीरा मेड़तनी चाले एक्ला हो जी।।
आया आया पनघट वाली पाल मीराबाई,
सारा शहरा रा लोगा पुछीयो हो जी,
पूछे पूछे शहर वाला लोग बाईसा,
किनरे कारणिये दिखो दुबला हो जी,
किनरे कारणिये दिखो दुबला हो जी।।
केतो थारो परनियो परदेश बाईसा,
केतो सासु है थारी सावकी हो जी,
कोणी म्हारो परनियो बीरा म्हारा,
कोणी सासु म्हारे सावकी हो जी,
कोणी सासु म्हारे सावकी हो जी।।
दूर जा थू मुर्ख दीवार वीरा म्हारा,
पराया दिलड़ा रो दुःख कियु करे हो जी,
बज्र घड़िया द्वार ने किवाड़ भाईडा,
कूची साहिबो म्हारो ले गयो हो जी,
कूची साहिबो म्हारो ले गयो हो जी।।
जोवु जोवु सावरिया री वाट भाईडा,
जिनरे दुखडासु मैं तो दुबली हो जी,
इनरे सरवरिया वाली पाल मीरा,
मीरा मेड़तनी हैलो मारियो हो जी,
मीरा मेड़तनी हैलो मारियो हो जी।।
अण रे सरवरिया वाली पाल भाईडा,
राधा रुक्मणी जी दिखे आवता हो जी,
बोलिया है गुरु रोहिदास भाईडा,
मीरा ने सांवरियो मिल गयो आयने हो जी।।
स्वर – प्रकाश माली जी।
प्रेषक – श्रवण सिंह राजपुरोहित।
+91 90965 58244
इस भजन की अंतिम और महत्वपूर्ण पंक्तियां हैं जो कि इसमें नहीं लिखी गई है। हर एक भजन के पीछे उसकी छाप लगती है कि इस भजन को किसने कहा है और किसके लिए कहा है। कृपया कर ये गलती सुधारे।