लो आ गया दर पे श्याम,
लो ख़बर मेरी,
लो ख़बर मेरी,
लो ख़बर मेरी,
लों आ गया दर पे श्याम,
लो ख़बर मेरी।।
तर्ज – लो आ गई उनकी याद।
भटका हूं मैं तो दर-दर,
परखा ये जग भी सारा,
तेरे सिवा ना कोई,
मुझको मिला सहारा,
तुमको ही ढ़ूंढती थी,
हर पल ही नज़र मेरी,
लों आ गया दर पे श्याम,
लो ख़बर मेरी।।
करते हैं सब बुराई,
देखी रे जब ग़रीबी,
देते ना अब दिखाई,
जितने भी हैं करीबी,
अब सांस चल रही है,
झुक गई है कमर मेरी,
लों आ गया दर पे श्याम,
लो ख़बर मेरी।।
करता है तू भी देरी,
दुनिया भी ये खफा है,
‘जालान’ रो रहा है,
तुमसे ना ये छुपा है,
एक बार पूरी कर दे,
सारी तू कसर मेरी,
लों आ गया दर पे श्याम,
लो ख़बर मेरी।।
लो आ गया दर पे श्याम,
लो ख़बर मेरी,
लो ख़बर मेरी,
लो ख़बर मेरी,
लों आ गया दर पे श्याम,
लो ख़बर मेरी।।
गायक – किशन मुद्गल।
80056-18767 कोटा (राज.)
लेखक / प्रेषक – पवन जालान जी।
94160-59499 भिवानी (हरियाणा)