माँ काँगड़े वाली तुझे नमन,
दोहा – ऊपर अद्भुत छटा बिखेरे,
धोला धार बर्फानी,
नीचे घाटी मात बिराजे,
नगर कोट महारानी।
दीन जनन के सर पर मैया,
दया की चादर तानी,
महिमा कैसे बखाने ये ‘लख्खा’,
मूढ़ मति अज्ञानी।
बर्फ का पर्वत करे रखवाली,
और बिच माँ तेरा द्वारा,
चम चम चमके भवन सुनहरा,
लगता है बड़ा प्यारा।
खुल गई मेरी किस्मत माता,
हो गया दर्शन मुझको,
चुम के चौखट तेरी माता,
लख्खा लख लख,
नमन करे तुझको।
माँ काँगड़े वाली तुझे नमन,
क्या खूब सजा है तेरा भवन,
माँ काँगड़े वाली तुझें नमन।bd।
नगर कोट की तू महारानी,
तू शक्ति तू आद भवानी,
वेद पुराणों ने महीमा बखानी,
सबको वर देती वरदानी,
सुखदाई तेरे दर्शन,
माँ काँगड़े वाली तुझें नमन।bd।
धोला धार पर्वत का पहरा,
चम चम चमके भवन सुनहरा,
मनोकामना पूरी होती,
जो भी ध्यान धरे माँ तेरा,
संकट काटे तेरा भजन,
माँ काँगड़े वाली तुझें नमन।bd।
‘के के शर्मा’ चरणों के चाकर,
दर पे खड़े है शीश झुककर,
ऐमिल जगराते की चर्चा,
‘सरल’ आज हो रही है घर घर,
गाए ‘लख्खा’ महिमा होके मगन,
Bhajan Diary Lyrics,
माँ काँगड़े वाली तुझें नमन।bd।
काँगड़े वाली आनंद करना,
अवगुण बहुत है ध्यान ना धरना,
भक्तजनो की विपदा हारना,
चरण धुल दे झोलियाँ भरना,
हमें लगी रहे माँ तेरी लगन,
माँ काँगड़े वाली तुझें नमन।bd।
माँ काँगड़े वाली तुझे नमन,
क्या खूब सजा है तेरा भवन,
माँ काँगड़े वाली तुझें नमन।bd।
स्वर – श्री लखबीर सिंह लख्खा जी।