माँ को जो भी पुकारेगा मन से,
दौड़ी आयेंगी मैया जतन से।।
सबका जीवन संवारेगी माता,
माता होती कभी न कुमाता,
उनका पूजन करो तन ओ मन से,
दौड़ी आयेंगी मैया जतन से।।
वो हैं माता दुखी दीन जन की,
आशा पूरी करें सबके मन की,
उनको करना न ओझल नयन से,
दौड़ी आयेंगी मैया जतन से।।
ध्यानू ने सच्चे मन से पुकारा,
शीश घोड़े का जोड़ा दोबारा,
‘राजेन्द्र’ उनको पुकारो लगन से,
दौड़ी आयेंगी मैया जतन से।।
माँ को जो भी पुकारेगा मन से,
दौड़ी आयेंगी मैया जतन से।।
गायक / गीतकार – राजेंद्र प्रसाद सोनी।
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