माँ सीता है ये पूछ रही,
अपने स्वामी श्री राम से,
ये घोर परीक्षा ली मेरी,
भगवन तूने किस काम से,
मां सिता है ये पूछ रही,
अपने स्वामी श्री राम से।।
तर्ज – बाबुल की दुआएं लेती जा।
एक धोबी के कहने पर तूने,
आश्रम में मुझको भेज दिया,
और अग्नि परीक्षा ली मेरी,
फिर भी विश्वास क्यों ना आया,
नारी अब शिक्षा क्या लेगी,
प्रभु मेरे इस अंजाम से,
मां सिता है ये पूछ रही,
अपने स्वामी श्री राम से।।
मैंने अपना धर्म निभाया है,
इक पतिव्रता नारी होने का,
प्रभु हिरदय आपका हो गया,
पति छोड़ के क्यों संसारी का,
अंतर्यामी होकर भी क्यों,
प्रभु आप रहे अंजान से,
मां सिता है ये पूछ रही,
अपने स्वामी श्री राम से।।
भगवन तेरा राज भी आ गया,
बनवास ये मेरा ना छूटा,
लव कुश जैसे नन्हे बालक से,
जाने किस्मत फिर क्यों रूठा,
मैंने काट लिया अपना जीवन,
श्री राम तुम्हारे नाम से,
मां सिता है ये पूछ रही,
अपने स्वामी श्री राम से।।
अंतिम ये परीक्षा है मेरी,
मुझे अपनी गोद में ले लो माँ,
तेरा ही दिया है ये जीवन,
खुद में ही समा लो धरती माँ,
इतना कहके वो चली गई,
ना रोके रुकी श्री राम से,
मां सिता है ये पूछ रही,
अपने स्वामी श्री राम से।।
माँ सीता है ये पूछ रही,
अपने स्वामी श्री राम से,
ये घोर परीक्षा ली मेरी,
भगवन तूने किस काम से,
मां सिता है ये पूछ रही,
अपने स्वामी श्री राम से।।
स्वर – चेतन जी जायसवाल।