माँ थारी चुनरी लागे,
म्हाने लागे घनी रूपाली,
हीरा चमके पन्ना दमके,
मूंगा मोत्या वाली।।
मुखड़ों थारों सोहनो नीको,
चाँद बिचारो लागे फीको,
नैन थारा तारा ज्यू चमके,
बिंदिया सूरज लाली,
मां थारी चुनरी लागें,
म्हाने लागे घनी रूपाली।।
शीश पे थारे मुकुट विराजे,
सिंह चढ़ी माँ अंबर गाजे,
एक हाथ त्रिशूल मैया जी,
खड्ग खप्पर धारी,
मां थारी चुनरी लागें,
म्हाने लागे घनी रूपाली।।
गोठ नगरिया धाम तिहारो,
धाम की शोभा कुंड है प्यारो,
अधर खम्ब है एक मंदिर में,
रहती आप सँभाली,
मां थारी चुनरी लागें,
म्हाने लागे घनी रूपाली।।
‘सम्पत’ नित थारा गुणगावे,
नित चरणा में ध्यान लगावे,
कुलदेवी माँ लाज राखज्यो,
गोठ नगरिया वाली,
मां थारी चुनरी लागें,
म्हाने लागे घनी रूपाली।।
माँ थारी चुनरी लागे,
म्हाने लागे घनी रूपाली,
हीरा चमके पन्ना दमके,
मूंगा मोत्या वाली।।
Singer – Sampat Dadhich