माँ तुम याद आई,
बहुत याद आई,
भटकता हुआ मैं,
तेरे दर पे आया,
तेरे नाम की माँ,
है ज्योति जगाई,
मां तुम याद आई,
बहुत याद आई।।
तर्ज – वो जब याद आए।
आ गया दर पे,
तेरे उमंग लिए,
मन में दरशन की,
मईया तरंग लिए,
ममतामयी हो,
करुणामयी हो,
वो मूरत तेरी मेरे,
है दिल में समाई,
मां तुम याद आई,
बहुत याद आई।।
अपने मन की व्यथा,
आज किससे कहूँ,
जग में कैसे रहूँ,
और कितना सहूँ,
जमाने ने मुझको,
कहीं का न छोड़ा,
तेरा दर है साँचा,
ये आवाज़ आई,
मां तुम याद आई,
बहुत याद आई।।
याद में माँ तेरे,
मैं भटकता रहा,
रात दिन नाम,
तेरा ही रटता रहा,
फिर भी मिला ना,
दरश माँ तुम्हारा,
कैसे सहूँ माँ,
मैं तेरी जुदाई,
मां तुम याद आई,
बहुत याद आई।।
तेरी किरपा की हो,
मुझपे बरसात माँ,
हो सके रोज तुमसे,
मुलाकात माँ,
‘परशुराम’ माँगे,
ये वरदान तुमसे,
सदा अपने भक्तों की,
रहो माँ सहाई,
मां तुम याद आई,
बहुत याद आई।।
माँ तुम याद आई,
बहुत याद आई,
भटकता हुआ मैं,
तेरे दर पे आया,
तेरे नाम की माँ,
है ज्योति जगाई,
मां तुम याद आई,
बहुत याद आई।।
प्रेषक एवं लेखक – परशुराम उपाध्याय।
श्रीमानस मण्डल, वाराणसी।
9307386438