माही बीज ने सेवक,
सु कठे कठे पधारीया,
बेंगलुरु में बडेर,
दर्शन किना ओ माताजी,
भगत थारा घणा,
हर्षाया ओ माताजी,
भगत थारा घणा,
हर्षाया ओ माताजी।।
आई अनुयायी माता ज्योता जगावे,
आई अनुयायी माता ज्योता जगावे,
आरतीया मे ढोल नगाडा,
बाजे ओ माताजी,
आरतीया मे ढोल नगाडा,
बाजे ओ माताजी,
भगत थारा घणा,
हर्षाया ओ माताजी।।
घर तो भीकाजी रे आप माँ पधारीया,
घर तो भीकाजी रे आप माँ पधारीया,
भगतो रा भाग थे,
जगाया ओ माताजी,
भगतो रा भाग थे,
जगाया ओ माताजी,
भगत थारा घणा,
हर्षाया ओ माताजी।।
आई वाटिका घणी फुटरी आ लागे,
आई वाटिका घणी फुटरी आ लागे,
बेंगलुरु में चौदस खुशीयां,
छाई ओ माताजी,
बेंगलुरु में चौदस खुशीयां,
छाई ओ माताजी,
भगत थारा घणा,
हर्षाया ओ माताजी।।
‘लखन चौधरी’ माँ दास कहिजे थारो,
लखन चौधरी माता दास कहिजे थारो,
किशोर सुमन थारा कीर्तन,
एतो गावे ओ माताजी,
किशोर सुमन थारा हरिगुन,
गावे ओ माताजी,
भगत थारा घणा,
हर्षाया ओ माताजी।।
माही बीज ने सेवक,
सु कठे कठे पधारीया,
बेंगलुरु में बडेर,
दर्शन किना ओ माताजी,
भगत थारा घणा,
हर्षाया ओ माताजी,
भगत थारा घणा,
हर्षाया ओ माताजी।।
लेखक – लखन चौधरी।
गायक – श्याम पालीवाल जी।
प्रेषक – मनीष सीरवी।
(रायपुर जिला पाली राजस्थान)
9640557818