माई मैं तो देख्या दो वनवासी,
देख्या देख्या दो संन्यासी,
माई मै तो देख्या दो वनवासी।।
आगे तो आगे राम चलत है,
पिछे लक्ष्मण भाई,
माई मेतो देख्या दो वनवासी।।
किण रे राजा रा कवर कहिजो,
किण रे नगर रा थे वासी रे,
माई मेतो देख्या दो वनवासी।।
राजा रे दशरथ जी रा कवर कहिजो,
नगर अयोध्या रा वासी रे,
माई मेतो देख्या दो वनवासी।।
डावी रे भूजा सू धनूष उठावें,
जिमणे सू बाण सलासी,
माई मेतो देख्या दो वनवासी।।
तूलसी दास आस रघूवर की,
राम जी मिलन कब होसी रे,
माई मेतो देख्या दो वनवासी।।
माई मैं तो देख्या दो वनवासी,
देख्या देख्या दो संन्यासी,
माई मै तो देख्या दो वनवासी।।
गायक – प्रेम गोस्वामी बाड़मेर।
9799880344