मान ले कियो रे मनड़ा,
मानले कियो रे।
दोहा – रहीम या संसार में,
टेढ़े दोऊ काम,
साँचे से तो जग नहीं,
झूठे मिले न राम।
आज कहे मैं काल करू,
काल कहे फिर काल,
आज काल ही करत में,
तेरो अवसर जासी चाल।
मान ले कियो रे मनड़ा,
मानले कियो रे,
उमर सारी बीती रे मनड़ा,
मानले कियो रे।।
नौ दस मास गर्भ में रियो,
हरि हरि कियो रे,
बाहर आकर भूल्यो मनड़ा,
नाम नहीं लियो रे,
मानले कियो रे,
मानले कियो रे,
उमर सारी बीती रे मनड़ा,
मानले कियो रे।।
जवानी रे धोरे बन्दा,
धुन में रियो रे,
धर्म ने डिगाय मनड़ा,
पाप ने लियो रे,
मानले कियो रे,
मानले कियो रे,
उमर सारी बीती रे मनड़ा,
मानले कियो रे।।
एक दिन गंगा रे तीरे,
मिलग्या दो बिछड़िया प्राणी,
घड़ियों ऊंचादे म्हाने,
बोली तारामती राणी,
सेन्दी सी बोली सुणके,
सम्भलयो सतवादी दानी,
पर अपणो धर्म निभावण,
करगयो बो आनाकानी,
झुकग्या दोनूं नैणा कर सलाम रे,
जन्मा रा भिड़ू,
रेग्या हिवड़े ने दोनूं ठाम रे।।
पाँचों होय पच्चीसों तीसों,
साठ में गयो रे,
रेण सारी बीती तड़को,
पहर को रियो रे,
मानले कियो रे,
मानले कियो रे,
उमर सारी बीती रे मनड़ा,
मानले कियो रे।।
आओ सजना करां भजन,
अपां गुरु सा कियो रे,
रामानंद री विनती रे,
कबीर सा कियो रे,
मानले कियो रे,
मानले कियो रे,
उमर सारी बीती रे मनड़ा,
मानले कियो रे।।
मान ले कियो रे मनडा,
मानले कियो रे,
उमर सारी बीती रे मनड़ा,
मानले कियो रे।।
स्वर – संत श्री सुखदेव जी महाराज कुचेरा।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052