मारग चुनियो रे सत पर चालनो,
ओ राजा हरिचंद।
दोहा – सत मत छोड़ो साहिबा,
सत छूटा पत जाए,
सत्य के बांदी लक्ष्मी,
वा फिर मिलेगी आए।
मारग चुनियो रे सत पर चालनो,
ओ राजा हरिचंद,
सत रा गेला में सब वारियो।।
राता में सपनो आयो,
उठता ही सभा बुलाई,
बोल्या अयोध्या कर दी,
दान सपना रे माही,
मारग चूणियों रे सत पे चालनो,
ओ राजा हरिचंद,
राज सत पे आप वारियो।।
बण गया विश्वा मित्र,
अवध रा राज धणी,
पांच सौ मुद्राए मांगी,
परीक्षा दान री लेनी,
सत पे चढ़ायो राज आप रो,
ओ राजा हरिचंद,
सत पे चाल्या राजन आप हो।।
धारा नगरी रे चोवटे,
हरिचंद हे हाट मांडी,
कुंवर रोहित ने बेचियो,
बेची तारावती राणी,
बेचियो परिवार तन आप रो,
ओ राजा हरिचंद्र,
कर्ज चुकायो थे दान रो।।
सत रा गैला पे देखो,
सब रा हे साथ छुटिया,
तीनों प्राणी अब देखो,
मालिक रे संग मे चालिया,
सब तो छुटियो रे राजन आज रे,
ओ राजा हरिचंद्र,
अब कोई नहीं परिवार रे।।
राणी थी अवध पुरी री,
सेवा में रेहती दासी,
दासी बण चक्की पीसे,
वैश्य रे घर में राणी,
साथ निभायो भरतार रो,
ओ राजा हरिचंद,
सत पे दियो राणी साथ रे।।
फूल लेवण ने रोहित,
जंगल रे माऐ जावे,
कालो बैरी डस जावे,
रोहित प्राण गवावे,
लाई मसाणा में राणी लाश रे,
ओ राजा हरिचंद्र,
रोकी रोहित री लाश रे।।
कफन रो करज चुकावो,
पचे थे लाश ने बाळो,
दी चुनर फाड़ ने राणी,
सत पे अटल दानी,
विजली कोंधी रे अंबर जोर रे,
ओ राजा हरिचंद्र,
नारायण आया थारि बेल रे।।
सत रा गैला पे जितिया,
जयकारा देव लगाया,
केशव रे मन हे भाया,
अनंत हे गुण गाया,
माराग चूणियों रे सत पे चालणो,
ओ राजा हरिचंद्र,
सत बचायो राजन आप हो।।
मारग चूणियों रे सत पर चालनो,
ओ राजा हरिचंद,
सत रा गेला में सब वारियो।।
गायक – अनंत लोहार।
प्रेषक – केशव लाल लोहार।
9784293640